"महान जासूसी लेखक ओमप्रकाश शर्मा की अपनी अलग पहचान थी – ज़नप्रिय लेखक! यह शत-प्रतिशत सही है कि ओमप्रकाश जन-जन का लेखक था। वह केवल भारतीय पाठकों का ही नहीं था बल्कि चीनी पाठक भी उसके बेशुमार थे। मैं जब मेरठ स्थित उसके घर गया तो देखा कि हज़ारों पाठकों के प्रेम, सम्मान, प्रश्न भरे पत्र उसके आस-पास बिखरे थे। इतनी ज़बरदस्त लोकप्रियता प्राप्त करने के बाद भी उसमें वही सादगी और सरलता थी।
मेरी मित्रता उससे बहुत पुरानी थी। जब ओमप्रकाश दिल्ली के पहाड़ी धीरज के एक मकान में किराए पर रहता था और दिल्ली क्लॉथ मिल में कामगार था। मैंने उससे पूछा था कि तुम्हें लेखन की प्रेरणा कैसे मिली? उसके पास भारी भरकम साहित्यिक उत्तर नहीं था। उसका संकेत आत्मप्रेरित-सा ही था। मुझे लगा कि तब भी उसकी संगत बुध्दिजीवियों से थी। जवाहर चौधरी उसका विशेष दोस्त था। चौधरीजी कुशल संपादक, श्रेष्ठ प्रकाशक और लेखक भी थे। चौधरी, चौधरी ज़रूर थे पर उनका रहन-सहन अभिजात वर्ग का था। बात के पक्के थे। उन्होंने एक बार कहा था। ओमप्रकाश केवल जासूसी लेखक ही नहीं है अपितु उसमें विलक्षण प्रतिभा है और वह अध्ययनशील व्यक्ति है। वह श्रेष्ठ ऐतिहासिक व सामाजिक लेखक भी हैं।"